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आसान कहाँ होता है। आसान कहाँ होता है एक लड़की का अक

आसान कहाँ होता है।
आसान कहाँ होता है एक लड़की का अकेले रह पाना।
घर ,बच्चे,नौकरी के बीच तालमेल बना पाना।
घर मे रहे तो नौकरी की चिंता और बाहर रहे तो बच्चों की।
आसान कहाँ होता है दोनों की जिम्मेदारी निभा पाना।
दिनभर की थकान भूल जाती है बच्चों के प्यार में।
पर ये चाहती है कि उसे भी कोई प्यार करे।
परवाह करे उसकी, उसके सुख दुख की बात करे।
कहां बता पाती है बैचैनी मन की किसी से।
आसान कहाँ होता है सबको अपनी बातें बता पाना।
कोई कहता नौकरी वाली है मजे है इनके।
रहती है आराम से करती अपने मन का है।
कोई नही समझता हमारी हालातों को।
आसान कहाँ होता है किसी को समझा पाना।
जब आती हु थककर घर, घर का हर कोना मुझे बुलाता।
काम ही काम हर तरफ नजर मुझे है आता।
आसान कहाँ होता है आराम कर पाना।
बच्चे अब बड़े हो गए अपने सपनो में खो गए।
अकेले रह गयी मैं फिर इस बड़े से घर में।
आसान कहाँ होता है एक लड़की का अकेले रह पाना

©Amita Mishra आसान कहां होता है।

#ShiningInDark
आसान कहाँ होता है।
आसान कहाँ होता है एक लड़की का अकेले रह पाना।
घर ,बच्चे,नौकरी के बीच तालमेल बना पाना।
घर मे रहे तो नौकरी की चिंता और बाहर रहे तो बच्चों की।
आसान कहाँ होता है दोनों की जिम्मेदारी निभा पाना।
दिनभर की थकान भूल जाती है बच्चों के प्यार में।
पर ये चाहती है कि उसे भी कोई प्यार करे।
परवाह करे उसकी, उसके सुख दुख की बात करे।
कहां बता पाती है बैचैनी मन की किसी से।
आसान कहाँ होता है सबको अपनी बातें बता पाना।
कोई कहता नौकरी वाली है मजे है इनके।
रहती है आराम से करती अपने मन का है।
कोई नही समझता हमारी हालातों को।
आसान कहाँ होता है किसी को समझा पाना।
जब आती हु थककर घर, घर का हर कोना मुझे बुलाता।
काम ही काम हर तरफ नजर मुझे है आता।
आसान कहाँ होता है आराम कर पाना।
बच्चे अब बड़े हो गए अपने सपनो में खो गए।
अकेले रह गयी मैं फिर इस बड़े से घर में।
आसान कहाँ होता है एक लड़की का अकेले रह पाना

©Amita Mishra आसान कहां होता है।

#ShiningInDark
amitamishra7971

Amita Mishra

New Creator

आसान कहां होता है। #ShiningInDark #कविता