White शीर्षक- अब जी हुजूरी हम करते नहीं ------------------------------------------------------------------- अब जी हुजूरी हम करते नहीं। कोई मजबूरी अब हमारी नहीं।। चाहे कोई माने गुरुर यह हमारा। कमजोरी कोई अब हमारी नहीं।। अब जी हुजूरी हम ----------------------।। आये नहीं वो तब हमसे मिलने। स्वागत उनका था जब इस दर पे।। बेताब है अब वो मिलने को हमसे। ख्वाहिश मगर अब हमारी नहीं।। अब जी हुजूरी हम ----------------------।। गर्दिश के दिन थे जब कल हमारे। मना कर दिया हमको देने को पनाह।। करते हैं तारीफ अब वो हमारी। रौनक कम अब जो हमारी नहीं। अब जी हुजूरी हम ----------------------।। उन्होंने लिया बहुत मजा कल हमारा। उड़ाया मजाक बहुत हमारी गरीबी का।। बताते हैं हमको, अब वो अपना। मोहब्बत उनसे हम हमारी नहीं।। अब जी हुजूरी हम ----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गज़ल