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White सूर्यास्त हुआ इच्छाओं का आकांक्षाओं और आशाओं

White सूर्यास्त हुआ इच्छाओं का
आकांक्षाओं और आशाओं का।
भावनाओं में विरक्ति
आत्मा है परखती।
देह जल रहा विकारों से
मन जल रहा विचारों से।
अन्तर्मन में द्वंद्व संजोये।
मेघ क्षीर के अश्रु पिरोये।
तन में क्यों अनुराग ज्येष्ठ?
मन में फिर बैराग श्रेष्ठ।
मोह-माया का भीषण छल
भौतिकता का कोलाहल।
उन सब में इक आग है श्रेष्ठ
जलती चिता की राग श्रेष्ठ।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #सूर्यास्त
#ऋतुराज
White सूर्यास्त हुआ इच्छाओं का
आकांक्षाओं और आशाओं का।
भावनाओं में विरक्ति
आत्मा है परखती।
देह जल रहा विकारों से
मन जल रहा विचारों से।
अन्तर्मन में द्वंद्व संजोये।
मेघ क्षीर के अश्रु पिरोये।
तन में क्यों अनुराग ज्येष्ठ?
मन में फिर बैराग श्रेष्ठ।
मोह-माया का भीषण छल
भौतिकता का कोलाहल।
उन सब में इक आग है श्रेष्ठ
जलती चिता की राग श्रेष्ठ।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #सूर्यास्त
#ऋतुराज