Nojoto: Largest Storytelling Platform
nojotouser7488962934
  • 8Stories
  • 11Followers
  • 282Love
    243Views

ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

स्वयं की निर्मित छंद हूँ मैं। ऋतुराज हूँ मैं बसंत हूँ मैं।।

  • Popular
  • Latest
  • Video
3cc7f2073f0d3321e7d25571caa6deff

ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

White  थोड़ा सा ही बचा है,फिर भी सता रहा है।
हाथ में थामे खंजर,वो दिसम्बर जा रहा है।।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #दिसम्बर
#धोखेबाज_दोस्त
3cc7f2073f0d3321e7d25571caa6deff

ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

थोड़ा सा ही बचा है,फिर भी सता रहा है।
हाथ में थामे खंजर,वो दिसम्बर जा रहा है।।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #धोखेबाज_दोस्त 
#धोखेबाज_साल
3cc7f2073f0d3321e7d25571caa6deff

ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

दो अक्षर की सीता माता,दो अक्षर के राम।
दो दो के संयोजन से ही,बनते हैं हनुमान।।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #Hanumanji
RRp
3cc7f2073f0d3321e7d25571caa6deff

ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

White पैर जमीं पर भी होकर,
अभिमान रहता है।
ऊपर ईश्वर
नीचे वाला खुद,खुद को भगवान कहता है।
इक दिन गिर पड़ कर 
एक जुबान कहता है।
कि सर के ऊपर ही आसमान रहता है।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #sad_quotes
3cc7f2073f0d3321e7d25571caa6deff

ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

Unsplash दीमक कुतरता नहीं जैसे जिल्द को,
बस अन्दर ही अन्दर खत्म कर देता है किताबों को।
चिन्ता कुतरती नहीं है वैसे ही जिस्म को,
बस अन्दर ही अन्दर खत्म कर देती है आदमी को, 
सपनों को या ख्वाबों को।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #चिन्ता
#ख्वाब
#मंजिल
3cc7f2073f0d3321e7d25571caa6deff

ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

Unsplash एक वृक्ष 
अलग-अलग शाखाएं
शाखाओं का वृक्ष  से अटूट सम्बन्ध है।
क्योंकि शाखाएं उगती हैं वृक्ष पर से ही।
पर शाखाओं पर नहीं शाखाएं,
एक वृक्ष की अलग-अलग शाखाएं
अलग-अलग दिशाओं में जा रही हैं जो,
उन शाखाओं पर भी उगी हुई,
 छोटी-छोटी टहनियां भी,
ढूंढेंगी जब अपनी दिशाएं
शाखाएं पाना चाहेंगी झुरमुट तब
फिर से बसंत आएगा जब।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #एक_वृक्ष
3cc7f2073f0d3321e7d25571caa6deff

ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

White कल ख्वाब में देखा पानी को।
बूँद-बूँद थी ठहर-ठहर।
रुके-रुके, बादल-बादल।
नदियाँ सारी झील-झील।
स्थिर हुए निर्झर-निर्झर।
जल की अस्थिरता खत्म हुई
वेगहीन हुई धाराएं,
उद्गमित होने लगी धारणाएं।
यक्ष प्रश्न : जल तंत्र स्थिर क्यों है?
जनतंत्र अस्थिर क्यों हैं?
प्रत्युत्तर दे रहे थे फरिश्ते।
फ़रिश्ते: "रिश रिश के रिश रहे हैं रिश्ते"।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #Sad_Status 
#Rishte
#Rituraj
3cc7f2073f0d3321e7d25571caa6deff

ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

White जमाने को इल्जाम न दे गाफ़िल,
अपने ही अपनों को गिराते हैं‌।
जिन हाथों में खंजर थामे,
उनसे ही पीठ थपथपाते हैं।
जाँच परख करें कब किसकी?
दाग भी ये बेदाग है।
अपनों ही में फन फैलाए,
आस्तीन के साँप हैं।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #sad_quotes 
#जमाना

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile