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दूर तक कोई अपना नजर नहीं आता है अब कभी तो ये दिल

 दूर तक कोई अपना नजर नहीं आता है अब
कभी तो ये दिल मेरा धड़कना भूल जाता है अब 

क्या करूँ किसको पुकारूँ नजर न कोई आता अब
तरस गए हैं नैन मेरे कोई  मिलने नही आता है अब 

भूल से भी इस गली में नाम लेकर पुकारे तो अब
चाहते हैं आज भी कोई आकर गले तो लगा ले अब 

 किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है:
इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे
और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है

अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है।

#कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
 दूर तक कोई अपना नजर नहीं आता है अब
कभी तो ये दिल मेरा धड़कना भूल जाता है अब 

क्या करूँ किसको पुकारूँ नजर न कोई आता अब
तरस गए हैं नैन मेरे कोई  मिलने नही आता है अब 

भूल से भी इस गली में नाम लेकर पुकारे तो अब
चाहते हैं आज भी कोई आकर गले तो लगा ले अब 

 किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है:
इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे
और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है

अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है।

#कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi