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मेरी माँ मेरे लिए एक साधारण औरत थी। ज्यादा कुछ पढ़ी

मेरी माँ मेरे लिए एक साधारण औरत थी। ज्यादा कुछ पढ़ी नहीं थी, और ढेर सारे काम धाम जानवरों की तरह कर लेने के बाद चुपचाप पिटाई भी सह लेती थी। आज जब बुढ़ापे में मेरे बाप अब फेमिनिस्ट हो चले हैं(शरीर से थक गए) तो उन्हें थोड़ा पुचकार भी लेते हैं और नाते रिश्तेदारों में काफ़ी सम्मान भी पा जाते हैं... वाह इनके पति कितने सपोर्टिव हैं.. मेरे भाई बहन भी इस मधुर तस्वीर को कैद कर लेते हैं... और समझते हैं यही है सुखद गृहस्थी का राज़.. माँ भी खुश नज़र आती है। मैं भी उनसे उम्मीद छोड़ चली थी। मैंने उन्हें कम तो नहीं आंका था मग़र सोचा कि महान क्या किया उन्होंने? ऐसे पति को कुछ ना बोला..

लेकिन एक रात जब उनसे कुछ अंतरंग बात हुई तो मेरी सोच एकाकक बदल गयी उन्हें लेकर... ना जाने किस बात पे वो कह बैठीं, 'काश अपने पैरों पर होती मैं भी होती तो कभी ब्याह नहीं करती, ये शादी बच्चे पति इसीलिए अच्छे लगते हैं क्योंकि इससे अलग जीने का कोई जरिया हमें दिया ही नहीं जाता। मार खाओ तो सहना इसलिए पड़ता है कि क्योंकि मायके में भी कोई जगह ना होगी...'

मैं हैरान हो गयी माँ के इन ख्यालों को सुन कर। हाँ ज़ाहिर था जल्द ही वो बाहर आ गयी अपने इस मूड से उस मूड में जिसे हम आदर्श माँ का मूड कहते हैं। यानी रसोई में चली गयीं पकौड़े तलने क्योंकि उनके पति चिल्ला कर फ़रमाइश कर रहे थे अपने कुछ यार दोस्तों के साथ बैठकर... #माँ #की #कुछ #बात #कहानी #MothersDay #YQbaba #YQdidi

शिखा श्रीवास्तव ये कहानी पढ़ो शिखा। इसमें सिर्फ़ 1% ही फिक्शनल है। बाकि 99% मैंने मेरी माँ को देखकर लिखा है।
मेरी माँ मेरे लिए एक साधारण औरत थी। ज्यादा कुछ पढ़ी नहीं थी, और ढेर सारे काम धाम जानवरों की तरह कर लेने के बाद चुपचाप पिटाई भी सह लेती थी। आज जब बुढ़ापे में मेरे बाप अब फेमिनिस्ट हो चले हैं(शरीर से थक गए) तो उन्हें थोड़ा पुचकार भी लेते हैं और नाते रिश्तेदारों में काफ़ी सम्मान भी पा जाते हैं... वाह इनके पति कितने सपोर्टिव हैं.. मेरे भाई बहन भी इस मधुर तस्वीर को कैद कर लेते हैं... और समझते हैं यही है सुखद गृहस्थी का राज़.. माँ भी खुश नज़र आती है। मैं भी उनसे उम्मीद छोड़ चली थी। मैंने उन्हें कम तो नहीं आंका था मग़र सोचा कि महान क्या किया उन्होंने? ऐसे पति को कुछ ना बोला..

लेकिन एक रात जब उनसे कुछ अंतरंग बात हुई तो मेरी सोच एकाकक बदल गयी उन्हें लेकर... ना जाने किस बात पे वो कह बैठीं, 'काश अपने पैरों पर होती मैं भी होती तो कभी ब्याह नहीं करती, ये शादी बच्चे पति इसीलिए अच्छे लगते हैं क्योंकि इससे अलग जीने का कोई जरिया हमें दिया ही नहीं जाता। मार खाओ तो सहना इसलिए पड़ता है कि क्योंकि मायके में भी कोई जगह ना होगी...'

मैं हैरान हो गयी माँ के इन ख्यालों को सुन कर। हाँ ज़ाहिर था जल्द ही वो बाहर आ गयी अपने इस मूड से उस मूड में जिसे हम आदर्श माँ का मूड कहते हैं। यानी रसोई में चली गयीं पकौड़े तलने क्योंकि उनके पति चिल्ला कर फ़रमाइश कर रहे थे अपने कुछ यार दोस्तों के साथ बैठकर... #माँ #की #कुछ #बात #कहानी #MothersDay #YQbaba #YQdidi

शिखा श्रीवास्तव ये कहानी पढ़ो शिखा। इसमें सिर्फ़ 1% ही फिक्शनल है। बाकि 99% मैंने मेरी माँ को देखकर लिखा है।
pratimatr9567

Vidhi

New Creator

#माँ #की #कुछ #बात #कहानी #MothersDay #yqbaba #yqdidi शिखा श्रीवास्तव ये कहानी पढ़ो शिखा। इसमें सिर्फ़ 1% ही फिक्शनल है। बाकि 99% मैंने मेरी माँ को देखकर लिखा है।