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काफ़िर नहीं मैं, एक शायर हूं। खूबसूरती का, कायल हू

काफ़िर नहीं मैं,
एक शायर हूं।
खूबसूरती का,
कायल हूं।
लिख दूं जो मैं,
वो पढ़ ले दुनियां।
जज्बातों से कभी घायल  हूं
समझते है लोग,
जो उनकी समझ है।
मेरी तो मौज,
जो की उनसे अलग है।
चाहते है वो,
खुशियां पाना।
पर मिले वही
जो बीज तूने डाला।।
अब कहूं भी तो क्या?
दुनिया झूठी लगती है।
हर जगह 
जैसे यह दुनियां बिकती है,
करोगे तुम क्या
कभी खुद ये पूछा है।
रहेगा सदा 
जैसे आज तक जूझा है।।

©purvarth
  #kafir