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चंदा दो आशीष पिया को,उदित भाग्य ध्रुवतारा हो। ज्यो

चंदा दो आशीष पिया को,उदित भाग्य ध्रुवतारा हो।
ज्योतिर्मय हो कर्मक्षेत्र अब, धर्मक्षेत्र उजियारा हो।
जीवन ऐसा चले कि जैसे, झरने की निर्मल धारा।
हृदय भाव हों पुलकित-पुलकित,मृदुल बोल का जयकारा।
चार सुखो के धारी हों अरु, जीवन सफल हमारा हो।
सपनों की फुलझड़ियाँ चमकें, मधु स्मृतियाँ बनीं रहें।
पति सेवा में हरदम चंदा, बाँहें मेरी तनीं रहें।
ओ चाँद तेरी चाँदनी का,अद्भुत यहाँ नजारा हो।
गर नीर बहें तो परदुख में, प्रभु सेवा में लगी रहूँ।
कष्ट समय में भी चंदा मैं, पति से कुछ भी नहीं कहूँ।।
मेरे घर में प्यारे चंदा, कभी नहीं अँधियारा हो।
चंदा दो आशीष पिया को, उदित भाग्य ध्रुवतारा हो।

©Subhash Singh #ठा.सुभाष सिंह, कटनी म.प्र.
@सर्वाधिकार सुरक्षित

#Karwachauth
चंदा दो आशीष पिया को,उदित भाग्य ध्रुवतारा हो।
ज्योतिर्मय हो कर्मक्षेत्र अब, धर्मक्षेत्र उजियारा हो।
जीवन ऐसा चले कि जैसे, झरने की निर्मल धारा।
हृदय भाव हों पुलकित-पुलकित,मृदुल बोल का जयकारा।
चार सुखो के धारी हों अरु, जीवन सफल हमारा हो।
सपनों की फुलझड़ियाँ चमकें, मधु स्मृतियाँ बनीं रहें।
पति सेवा में हरदम चंदा, बाँहें मेरी तनीं रहें।
ओ चाँद तेरी चाँदनी का,अद्भुत यहाँ नजारा हो।
गर नीर बहें तो परदुख में, प्रभु सेवा में लगी रहूँ।
कष्ट समय में भी चंदा मैं, पति से कुछ भी नहीं कहूँ।।
मेरे घर में प्यारे चंदा, कभी नहीं अँधियारा हो।
चंदा दो आशीष पिया को, उदित भाग्य ध्रुवतारा हो।

©Subhash Singh #ठा.सुभाष सिंह, कटनी म.प्र.
@सर्वाधिकार सुरक्षित

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subhashsingh7597

Subhash Singh

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