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सुशांत तूने ये क्या किया जीवन से क्यों हार गया ए

सुशांत तूने ये क्या किया 
जीवन से क्यों हार गया 
एक बिहारी हो के भी ऐसा काम किया 
बिहार का सूरज बन तू निकला था 
क्यों ऐसे ही ढल गया 
सुशांत तूने ये क्या किया 

अपने जो तुम दुनिया से खिसक चले
हम बिहारी को भी खिसका दिए 
हम बिहारी न हार मानते 
दृढनिश्च कर आगे बढते जाते
हर मौसम को हँस हँस झेलते 
अपने अनूकूल उसे यूँही करते 
सुशांत तूने ये क्या किया 

हम बिहारी का अरमान बन निकला तू
कोसी क्षेत्र में तू जन्म लिया था
भयंकर त्रासदी को तू जन्म से देख रहा था
हर विपदा बाढ को झेल रहा था
पर हार न मानना था तुझे
सुशांत तूने ये क्या किया 

हम बिहारी कहीं भी रह लेते 
पर स्वाभिमान से समझौता न करते
हर क्षेत्र में आगे बढते
संघर्ष को सहर्ष स्वीकार कर लेते 
हजारों किलोमीटर पैदल यूँ चल लेते
सुशांत तूने ये क्या किया 

 ©✍🏽संगीत कुमार /जबलपुर सुशांत तूने ये क्या किया 
जीवन से क्यों हार गया 
एक बिहारी हो के भी ऐसा काम किया 
बिहार का सूरज बन तू निकला था 
क्यों ऐसे ही ढल गया 
सुशांत तूने ये क्या किया 

अपने जो तुम दुनिया से खिसक चले
सुशांत तूने ये क्या किया 
जीवन से क्यों हार गया 
एक बिहारी हो के भी ऐसा काम किया 
बिहार का सूरज बन तू निकला था 
क्यों ऐसे ही ढल गया 
सुशांत तूने ये क्या किया 

अपने जो तुम दुनिया से खिसक चले
हम बिहारी को भी खिसका दिए 
हम बिहारी न हार मानते 
दृढनिश्च कर आगे बढते जाते
हर मौसम को हँस हँस झेलते 
अपने अनूकूल उसे यूँही करते 
सुशांत तूने ये क्या किया 

हम बिहारी का अरमान बन निकला तू
कोसी क्षेत्र में तू जन्म लिया था
भयंकर त्रासदी को तू जन्म से देख रहा था
हर विपदा बाढ को झेल रहा था
पर हार न मानना था तुझे
सुशांत तूने ये क्या किया 

हम बिहारी कहीं भी रह लेते 
पर स्वाभिमान से समझौता न करते
हर क्षेत्र में आगे बढते
संघर्ष को सहर्ष स्वीकार कर लेते 
हजारों किलोमीटर पैदल यूँ चल लेते
सुशांत तूने ये क्या किया 

 ©✍🏽संगीत कुमार /जबलपुर सुशांत तूने ये क्या किया 
जीवन से क्यों हार गया 
एक बिहारी हो के भी ऐसा काम किया 
बिहार का सूरज बन तू निकला था 
क्यों ऐसे ही ढल गया 
सुशांत तूने ये क्या किया 

अपने जो तुम दुनिया से खिसक चले

सुशांत तूने ये क्या किया जीवन से क्यों हार गया एक बिहारी हो के भी ऐसा काम किया बिहार का सूरज बन तू निकला था क्यों ऐसे ही ढल गया सुशांत तूने ये क्या किया अपने जो तुम दुनिया से खिसक चले