ग़ज़ल """"" सर्द शबनम को यूँ छू के...... आतिश न कर ग़ैर मुमकिन मोहब्बत की.... लग्ज़िश न कर हर नफ़स मर,...... फ़क़त मान फ़रमान को ज़िंदा रहने की हरगिज़ भी.. कोशिश न कर जान ले ले............... अगर जान ही चाहिए धोखा देने की पर........ कोई साज़िश न कर जो मरा हूँ,............... मुझे कर विदा चूम के अश्क़ से चश्म अपनी....... यूँ सोज़िश न कर नक्श होने दे आँखों............... में चेहरा तिरा यूँ घड़ी-दर-घड़ी............ देख जुम्बिश न कर #ग़ज़ल #शबनम #कोशिश #नफ़स #ghumnamgautam #साज़िश