" तुझे भूलाने को अभी वक्त , जमाने और लगेंगे , यूं याद वेबजह शामे मुशायरों जो तुम्हें कर लेते हैं , रक़ीब का ख़्याल की ख़्याल की गुंजाइश कुछ भी नहीं , बात तो हैं वेबजह पर अभी बात कुछ भी नहीं ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " तुझे भूलाने को अभी वक्त , जमाने और लगेंगे , यूं याद वेबजह शामे मुशायरों जो तुम्हें कर लेते हैं , रक़ीब का ख़्याल की ख़्याल की गुंजाइश कुछ भी नहीं , बात तो हैं वेबजह पर अभी बात कुछ भी नहीं ." --- रबिन्द्र राम #याद #वेबजह #मुशायरों