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कर्जदार का धर्म निभाना पड़ता है, सुविधाओं का म

कर्जदार  का  धर्म  निभाना पड़ता है, 
सुविधाओं का मूल्य चुकाना पड़ता है,

पहरेदार  बिठा  रक्खा  है खिदमत में, 
सेवक  को  अनुदान दिलाना पड़ता है, 

जीवन हो भयमुक्त सुखी अवलंबन से,
दीपक  को  भी तेल पिलाना पड़ता है, 

बुझती  साँसों  को थोड़ी रफ़्तार मिले, 
वेन्टीलेटर  का  खर्च उठाना पड़ता है, 

लेन-देन  व्यापारिक  उद्यम है जीवन, 
गदहे  को  भी  बाप  बुलाना पड़ता है, 

दस्तक  देकर आसपास के मंज़र को, 
विस्मृतियों  से  पुनः जगाना पड़ता है,

शेर  पालने  का रखते हो शौक अगर, 
मँहगा  खाना  उसे खिलाना पड़ता है, 

अच्छा-बुरा  भला जैसा भी हो रहबर,
मिलकर चलना हाथ मिलाना पड़ता है,

हम बेहतर इंसान बने यह प्रण 'गुंजन',
खुद को अक्सर याद दिलाना पड़ता है, 
      ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
          चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #मूल्य चुकाना पड़ता है#
कर्जदार  का  धर्म  निभाना पड़ता है, 
सुविधाओं का मूल्य चुकाना पड़ता है,

पहरेदार  बिठा  रक्खा  है खिदमत में, 
सेवक  को  अनुदान दिलाना पड़ता है, 

जीवन हो भयमुक्त सुखी अवलंबन से,
दीपक  को  भी तेल पिलाना पड़ता है, 

बुझती  साँसों  को थोड़ी रफ़्तार मिले, 
वेन्टीलेटर  का  खर्च उठाना पड़ता है, 

लेन-देन  व्यापारिक  उद्यम है जीवन, 
गदहे  को  भी  बाप  बुलाना पड़ता है, 

दस्तक  देकर आसपास के मंज़र को, 
विस्मृतियों  से  पुनः जगाना पड़ता है,

शेर  पालने  का रखते हो शौक अगर, 
मँहगा  खाना  उसे खिलाना पड़ता है, 

अच्छा-बुरा  भला जैसा भी हो रहबर,
मिलकर चलना हाथ मिलाना पड़ता है,

हम बेहतर इंसान बने यह प्रण 'गुंजन',
खुद को अक्सर याद दिलाना पड़ता है, 
      ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
          चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #मूल्य चुकाना पड़ता है#