आज़ादी का बिगुल बजे तों ज़माना हुआ लेकिन अभी तकअवाम ने ज़ज़ीर मे पॉंव डाले हुए हैँ शहर मे हर दिन कोई नया हादसा अंजाम लेता हैँ कल क्या होगा इसी डर से सब घबराये हुए हैँ दाद देनी पड़ेगी उन की हिम्मत और ज़्ज़बे की आँधियो मे भी ज़ो दीया अपना जलाये हुए हैँ ©Parasram Arora असजादी का बिगुल