शर्त पर रिश्ते निभाना चाहते हो मुझपे अपना हक़ जताना चाहते हो। प्यार शर्तों पर नहीं करते कभी भी क्यों इसे सौदा बनाना चाहते हो। ग़ैर की बातों में आ कर क्यूं भला आग अपने घर लगाना चाहते हो। मैं बढ़ाता हूं तेरी जानिब क़दम और तुम दूरी बढ़ाना चाहते हो। ज़िद सही हो तो चलो मैं मान लूं तुम ग़लत ज़िद पर झुकाना चाहते हो। चाहतों को तुम मेरी खो कर सनम क्या बताओ और पाना चाहते हो। छोड़ कर दामन सुहानी प्रीत का ज़िन्दगी तनहा बिताना चाहते हो। दरमियां जो भी हुआ अपने अभी तक क्यों नहीं तुम भी भुलाना चाहते हो। एक छोटी सी पहल से तुम नहीं क्यों दूरियां दिल की मिटाना चाहते हो। चाहता हूं जीत लो मुझको मुझी से तुम मगर मुझको हराना चाहते हो। हमनफस मेरे तुम्हारी बेरुखी से क्यों "पिनाकी" को सताना चाहते हो। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #ConditionalLove