मैं नीर भरी दुख की बदली विस्तृत नभ का कोई कोना मेरा न कभी अपना होना, परिचय इतना, इतिहास यही- उमड़ी कल थी, मिट आज चली! मैं नीर भरी दुख की बदली - महादेवी वर्मा । ©Arpit Mishra महादेवी वर्मा #clouds