" आज मैंने बहुत दिनों के बाद तेरे शहर का रुख़ किया है , बताओ जरा कहा कब कैसे मिलना चाहोगी तुम ऐसे में , एक मुद्दत का इन्तजार खत्म होने को ऐसे में तेरे - मेरे बीच का , कई मिलो का दरम्यान ख्यालों में उलझे हैं फासले कब कैसे फनाह होंगे . " --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com " आज मैंने बहुत दिनों के बाद तेरे शहर का रुख़ किया है , बताओ जरा कहा कब कैसे मिलना चाहोगी तुम ऐसे में , एक मुद्दत का इन्तजार खत्म होने को ऐसे में तेरे - मेरे बीच का , कई मिलो का दरम्यान ख्यालों में उलझे हैं फासले कब कैसे फनाह होंगे . " --- रबिन्द्र राम