Nojoto: Largest Storytelling Platform

" आज मैंने बहुत दिनों के बाद तेरे शहर का रुख़ किया

" आज मैंने बहुत दिनों के बाद तेरे शहर का रुख़ किया है ,
बताओ जरा कहा कब कैसे मिलना चाहोगी तुम ऐसे में , 
एक मुद्दत का इन्तजार खत्म होने को ऐसे में तेरे - मेरे बीच का ,
कई मिलो का दरम्यान ख्यालों में उलझे हैं फासले कब कैसे फनाह होंगे . " 
 
                                        --- रबिन्द्र राम
                                  
 Pic : pexels.com 

" आज मैंने बहुत दिनों के बाद तेरे शहर का रुख़ किया है ,
बताओ जरा कहा कब कैसे मिलना चाहोगी तुम ऐसे में , 
एक मुद्दत का इन्तजार खत्म होने को ऐसे में तेरे - मेरे बीच का ,
कई मिलो का दरम्यान ख्यालों में उलझे हैं फासले कब कैसे फनाह होंगे . " 
 
                                        --- रबिन्द्र राम
" आज मैंने बहुत दिनों के बाद तेरे शहर का रुख़ किया है ,
बताओ जरा कहा कब कैसे मिलना चाहोगी तुम ऐसे में , 
एक मुद्दत का इन्तजार खत्म होने को ऐसे में तेरे - मेरे बीच का ,
कई मिलो का दरम्यान ख्यालों में उलझे हैं फासले कब कैसे फनाह होंगे . " 
 
                                        --- रबिन्द्र राम
                                  
 Pic : pexels.com 

" आज मैंने बहुत दिनों के बाद तेरे शहर का रुख़ किया है ,
बताओ जरा कहा कब कैसे मिलना चाहोगी तुम ऐसे में , 
एक मुद्दत का इन्तजार खत्म होने को ऐसे में तेरे - मेरे बीच का ,
कई मिलो का दरम्यान ख्यालों में उलझे हैं फासले कब कैसे फनाह होंगे . " 
 
                                        --- रबिन्द्र राम

Pic : pexels.com " आज मैंने बहुत दिनों के बाद तेरे शहर का रुख़ किया है , बताओ जरा कहा कब कैसे मिलना चाहोगी तुम ऐसे में , एक मुद्दत का इन्तजार खत्म होने को ऐसे में तेरे - मेरे बीच का , कई मिलो का दरम्यान ख्यालों में उलझे हैं फासले कब कैसे फनाह होंगे . " --- रबिन्द्र राम