नेह-स्नेह-सुमन सम सहृदयी सखी है आप, सरिता सम अविरल लेखनी चलाती है आप, सहज-सरल-सुरभित सुमनभावन है आप, हर विषय पर क्या ग़जब लिखती हैं आप, दिल से सच्ची सी,मन से अच्छी सी आप, स्नेहस्वरूप सब का हौसला बढ़ाती आप, नाम से सार्थक उदय होती रहे सदा आप, हर पल खुशियों का दामन ओढे रहे आप, सुन्दतम-अनुपम-अमूल्य लिखती रहे आप, सभी के दिलों में पुष्प बन खिलती रहे आप। Dedicating a #testimonial to Neha Uday Bhan Gupta