नहीं डरे हैं सिँह कभी भी, कुत्तों के गुर्राने से, चूहा सेठ नहीं बन जाता, हल्दी की डली पाने से, और तप-तप कर ही बनता कुंदन, मूल्यवान हो जाता है, सोना राख नहीं हो सकता, अग्नि में जल जाने से। ©कमल "किशोर" आन-बान-शान