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इतनी क्या जल्दी थी हाथ छुड़ाने की, कुछ देर और साथ

इतनी क्या जल्दी थी हाथ छुड़ाने की,
कुछ देर और साथ निभाया होता,
पाया था खुदा से तुम्हे बड़ी मन्नतों के बाद,
कुछ देर और तो रिश्ता निभाया होता,
जन्नत में जब होगी मुलाक़ात हमारी,
पूछेंगे खुदा से क्या थी मर्ज़ी तुम्हारी,
मशग़ूल थे तुम इश्क़ में रकीब के कुछ इस तरह,
वक़्त ना मिला शामिल होने का, मैयत में हमारी। Kuch der
इतनी क्या जल्दी थी हाथ छुड़ाने की,
कुछ देर और साथ निभाया होता,
पाया था खुदा से तुम्हे बड़ी मन्नतों के बाद,
कुछ देर और तो रिश्ता निभाया होता,
जन्नत में जब होगी मुलाक़ात हमारी,
पूछेंगे खुदा से क्या थी मर्ज़ी तुम्हारी,
मशग़ूल थे तुम इश्क़ में रकीब के कुछ इस तरह,
वक़्त ना मिला शामिल होने का, मैयत में हमारी। Kuch der
utkarshjain9095

Utkarsh Jain

New Creator

Kuch der