तेरे जाने के बाद टूट गया हूँ मैं मेरे अंदर कुछ ठीक नहीं है सबकुछ बेमानी सा है ये जहाँ अब मेरे लिए कुछ ठीक नहीं है पहले नींद नहीं आती थी कि हम रात रातभर बात किया करते थे सिलसिला-ए-गुफ्तुगू अब नहीं है अब नींद का न आना कुछ ठीक नहीं है कहीं तेरी नामौजूदगी में मौत मुझे अपने आगौस में ना ले ले कुछ ऐसे तेरे बिछड़ जाने का गम जकड़ रहा है मुझको आसार ये कुछ ठीक नहीं है अपने दिल-ए-आशियाने की सरहदों में बांध ले फिर से मुझको लौट कर जल्दी आओ तुम ए हमनफस कि तेरे बगैर सच में कुछ ठीक नहीं है टूट गया हूँ मैं