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एक घटना ये तब की बात है जब मैं दिल्ली में कार्यरत

एक घटना
ये तब की बात है जब मैं दिल्ली में कार्यरत था।  अपनी घरवाली और बच्चे को ससुराल से लेकर आ रहा था।  हम दिल्ली सेंट्रल स्टेशन पहुंचने वाले थे।  मेरी पत्नी फ्रेश होने बाथरूम गई थी और अचानक मेरा छोटा सा हीरो मेरे करीब आया और उसने पूछा "केला खाओगे"। मैने कहा "अभी नहीं बेटा घर जाने के बाद खाऊंगा"!  वो चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगा ।  थोड़ी देर के बाद वो फिर मेरे करीब आया और बोला "केला खाओगे"। मैने कहा नहीं बेटा अभी नहीं घर जाके खाऊंगा। इस तरह तीन चार बार उसने यही सवाल किया और मैंने भी वही जवाब दिया।  अंत में उसने दो उंगलियां अपने मुंह की तरफ दिखाई और बोला "केला खाओगे"। और मेरी समझ में आया कि केला उसको खाना था।  भूख लगी थी और उसे केला खाओगे ही बोलना आता था।

©Kishore Nallanchakravartula ,#घटना
एक घटना
ये तब की बात है जब मैं दिल्ली में कार्यरत था।  अपनी घरवाली और बच्चे को ससुराल से लेकर आ रहा था।  हम दिल्ली सेंट्रल स्टेशन पहुंचने वाले थे।  मेरी पत्नी फ्रेश होने बाथरूम गई थी और अचानक मेरा छोटा सा हीरो मेरे करीब आया और उसने पूछा "केला खाओगे"। मैने कहा "अभी नहीं बेटा घर जाने के बाद खाऊंगा"!  वो चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगा ।  थोड़ी देर के बाद वो फिर मेरे करीब आया और बोला "केला खाओगे"। मैने कहा नहीं बेटा अभी नहीं घर जाके खाऊंगा। इस तरह तीन चार बार उसने यही सवाल किया और मैंने भी वही जवाब दिया।  अंत में उसने दो उंगलियां अपने मुंह की तरफ दिखाई और बोला "केला खाओगे"। और मेरी समझ में आया कि केला उसको खाना था।  भूख लगी थी और उसे केला खाओगे ही बोलना आता था।

©Kishore Nallanchakravartula ,#घटना