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क्या धन ही आधार जगत का ? धन से होता उद्धार जगत का

क्या धन ही आधार जगत का ?
धन से होता उद्धार जगत का ?

है बात सच धन के बगैर  कुछ नहीं होता,
ये भी सच है धन ही सब कुछ नहीं होता।

धन से  सुख  खरीद  सकते  हैं  चैन  नहीं,
धन से  चश्मा खरीद  सकते  हैं  नैन नहीं।

धन से किताबें खरीद सकते हैं  विद्या नहीं,
धन से मकान बना सकते हैं  परिवार नहीं।

धन  अल्प  सुख  देता है  सच्चा  प्यार नहीं,
सत्य यही धन होता  सुख का आधार नहीं। 📖 रचना विषय :- 'क्या धन ही आधार जगत का ?'
📖 06-10 पंक्तियों में अपनी उत्कृष्ट रचना करें ✍️
📖 वर्तनी पर विशेष ध्यान दें।
📖 अपने मित्र रचनाकारों को भी इस विषय पर लिखने के लिए आमंत्रित व सूचित करें।
📃आवश्यक नियम व शर्तें पिन पोस्ट के कैप्शन में पढ़कर ही रचना पूर्ण करें।
©Image credit - copyright free
#हिन्दी_काव्य_कोश
#tmkosh #yqbaba #हिन्दी_काव्य_कोश
क्या धन ही आधार जगत का ?
धन से होता उद्धार जगत का ?

है बात सच धन के बगैर  कुछ नहीं होता,
ये भी सच है धन ही सब कुछ नहीं होता।

धन से  सुख  खरीद  सकते  हैं  चैन  नहीं,
धन से  चश्मा खरीद  सकते  हैं  नैन नहीं।

धन से किताबें खरीद सकते हैं  विद्या नहीं,
धन से मकान बना सकते हैं  परिवार नहीं।

धन  अल्प  सुख  देता है  सच्चा  प्यार नहीं,
सत्य यही धन होता  सुख का आधार नहीं। 📖 रचना विषय :- 'क्या धन ही आधार जगत का ?'
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📖 वर्तनी पर विशेष ध्यान दें।
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