मजदूर भी अब मजबूर हों गया सड़क से उसका घर कितना दूर हों गया पैदल निकला था वो अपने परिवार के साथ जितना चलता वो रास्ता उससे उतना दूर हो गया मजदूर भी अब मजबूर हों गया कड़कती धूप में चलता रहा वो अँधेरी रात भी उसको रोक ना पाई भूखा प्यासा चलता रहा वो उस गरीब पर क्या क्या आफत हैं आई पैरों में पड गये छाले ख़ून की बूँद बूँद उसने हैं बहाई रुकता तो भी वो कैसे परिवार की चिंता उसे हैं सताई गरीब था मजदूर अब मजबूर हो गया सड़क से उसका घर इतना दूर हों गया 😡CORONA😡 ©विपिन Sevak मजदूर अब मजबूर हों गया 🙏 #Drops