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मनहरण घनाक्षरी :- गली गली घूम रहे , चौखट वे चूम रह

मनहरण घनाक्षरी :-
गली गली घूम रहे , चौखट वे चूम रहे ,
दादी अम्मा आप सब , वोट हमें दीजिए ।
सेवा करूँ दिन रात , छोटी नही अब बात ,
फिर भी कोई खोट हो , तो नोट ले लीजिए ।
भर जाए घाव सब , पैसों से ही देखो अब ,
और नही आप अब , मोल देखो कीजिए ।
आते हो चुनाव पर , देखो सभी गाँव घर ,
थोड़ा बैठकर अब , पानी भी तो पीजिए ।। -१

वोट यह हमारा है , तो हक भी हमारा है ,
जिसे चाहूँ दूँ मैं अब , आप दूर रहिए ।
बोल-बोल मीठी बातें , करते है नित घातें ,
ले विदेशी मेम संग , मत पग धरिए ।
अपना भी हित हम ,  कर लेंगे वो है दम ,
आप अब आकर ये , ज्ञानी मत बनिए ।
रोटी सूखी खाए लेंगे , पानी छान पिए लेंगे ,
लेकिन वोट माँग कर , हमें नही ठगिए ।। -२

१६/११/२०२३     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-


गली गली घूम रहे , चौखट वे चूम रहे ,

दादी अम्मा आप सब , वोट हमें दीजिए ।

सेवा करूँ दिन रात , छोटी नही अब बात ,
मनहरण घनाक्षरी :-
गली गली घूम रहे , चौखट वे चूम रहे ,
दादी अम्मा आप सब , वोट हमें दीजिए ।
सेवा करूँ दिन रात , छोटी नही अब बात ,
फिर भी कोई खोट हो , तो नोट ले लीजिए ।
भर जाए घाव सब , पैसों से ही देखो अब ,
और नही आप अब , मोल देखो कीजिए ।
आते हो चुनाव पर , देखो सभी गाँव घर ,
थोड़ा बैठकर अब , पानी भी तो पीजिए ।। -१

वोट यह हमारा है , तो हक भी हमारा है ,
जिसे चाहूँ दूँ मैं अब , आप दूर रहिए ।
बोल-बोल मीठी बातें , करते है नित घातें ,
ले विदेशी मेम संग , मत पग धरिए ।
अपना भी हित हम ,  कर लेंगे वो है दम ,
आप अब आकर ये , ज्ञानी मत बनिए ।
रोटी सूखी खाए लेंगे , पानी छान पिए लेंगे ,
लेकिन वोट माँग कर , हमें नही ठगिए ।। -२

१६/११/२०२३     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-


गली गली घूम रहे , चौखट वे चूम रहे ,

दादी अम्मा आप सब , वोट हमें दीजिए ।

सेवा करूँ दिन रात , छोटी नही अब बात ,

मनहरण घनाक्षरी :- गली गली घूम रहे , चौखट वे चूम रहे , दादी अम्मा आप सब , वोट हमें दीजिए । सेवा करूँ दिन रात , छोटी नही अब बात , #कविता