मुझे अच्छा लगता है तुम्हारा यूँ मुस्कुराना ꫰ उन भूरी ज़ुल्फ़ों को हवा में लहराना ꫰꫰ रूस कर हमसे, फिर खामोश हो जाना ꫰ तुम्हारा फिर भी हमारा साथ निभाना ꫰꫰ फिर हमारा तुमको मनाना ꫰ मान ना, मगर नखरे भी दिखाना ꫰꫰ हाँ नहीं अच्छा लगता वो गुस्सा तुम्हारा ꫰ मगर बहुत अच्छा लगता है तुम्हे अपना कहलाना ꫰꫰ ये मुस्कान, ख़ुशी, कदर और मोहब्बत सब तुमसे हैं ꫰ मगर नहीं अच्छा लगता तुम्हारे यूँ दूर हो जाना ꫰꫰ ©Jayesh gulati मुस्कुराना ꫰❤ . . . . . . .