आदमी बंधा है... अणु अनुमानों से, कई अनजानों से, मौजी अरमानों से, कुछ अपमानों से, कुछ अफसानों से.. आदमी बंधा है.. अनेक अकामों से, झूठे मेहरबानों से, छुपे उपनामों से, कुछ कारनामों से, कुछ बेईमानों से.. क्योंकि उसे अपनों के लिए.., श्रम फल अर्जित करना है, पोषक बन अन्न सुनिश्चित करना है, हर हाल..जीवित रहना है। हर हाल..जीवित रहना है। आदमी बंधा है। ©Anand Dadhich #आदमी_बंधा_है #poemonmen #hindipoetry #kaviananddadhich #ananddadhich #poetsofindia #indianwriters #delusion