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ये जिन्दगी न हुई कोई गणित की किताब हो गई। अनसुलझे

ये जिन्दगी न हुई कोई गणित की किताब हो गई।
अनसुलझे सवालों की झड़ियां बेहिसाब हो गईं।।

बड़ी ख्वाहिश थी इश्क में कुछ कर गुजर जाने की।
बेवफा वो निकला हमें बदनामियां खिताब हो गईं।।

वजूद अपना वो चिराग़ क्यूं न खोता दिवाली में।
बिना तेल के कुछ मोमबत्तियां आफताब हो गईं।। गणित जिंदगी की ✍️✍️✍️
ये जिन्दगी न हुई कोई गणित की किताब हो गई।
अनसुलझे सवालों की झड़ियां बेहिसाब हो गईं।।

बड़ी ख्वाहिश थी इश्क में कुछ कर गुजर जाने की।
बेवफा वो निकला हमें बदनामियां खिताब हो गईं।।

वजूद अपना वो चिराग़ क्यूं न खोता दिवाली में।
बिना तेल के कुछ मोमबत्तियां आफताब हो गईं।। गणित जिंदगी की ✍️✍️✍️