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सिर्फ़ इतना मैंने गुनाह किया सच्चे मन से उससे प्यार

सिर्फ़ इतना मैंने गुनाह किया
सच्चे मन से उससे प्यार किया|
दोस्ती का वास्ता दे उसने इन्कार किया
दिल के राज खोल जब मैंने इक़रार किया|  सभी दोस्तों को प्यार भरा "नमस्कार"


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आप सभी इस शीर्षक को ध्यान में रखते हुए 
अपनी रचनाएं लिखे ।

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सिर्फ़ इतना मैंने गुनाह किया
सच्चे मन से उससे प्यार किया|
दोस्ती का वास्ता दे उसने इन्कार किया
दिल के राज खोल जब मैंने इक़रार किया|  सभी दोस्तों को प्यार भरा "नमस्कार"


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