देखा उसने पहली नज़र , नशीली नज़ाकत भरी निगाहों से । कंटीली आँखों की काज़ल देख, मन मचला मानो मयूर मस्त हुआ घटाओं से । लबों पर मंद मुस्कान मग़र, चंचलता झलकती उसके भावों से । चन्द्रमा से चेहरे पर नख़रा देख, चौंका चकोर शरमाया शराफ़त भरी अदाओं से । खूब़ लगी रूह को इस कदर, मानो महकते फूल फ़िज़ाओं से। नखरे- नज़ाकत का सुंदर समावेश देख, कर आगोश़ अब अपना लूँ उसे खुली भुजाओं से । #dr_naveen_prajapati#शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है..