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बहुत कठिन काम है समीक्षा करना शब्दों के तलहटी में

बहुत कठिन काम है समीक्षा करना
शब्दों के तलहटी में सात्विक उतरना
कितना मिलेगा ये विद्वता की बात है
फिर सारमय होकर अपना पक्ष रखना
बहुत कठिन काम.......
सोचिए समीक्षा लेखक,लेखनी किसकी
या केवल खानापूर्ति का ही रंग भरना
उंगलियां तो बराबर हाथों की भी नहीं हैं
किस आधार पर भावों का हो परखना
बहुत कठिन काम.......
लेखनी तो दर्पण है विषय के चरित्र की
आसान नहीं होता इस राह में उछलना 
समीक्षक के विद्वता की भी परख होती है
वैसे आसान है "सूर्य"भटकाना भटकना
बहुत कठिन काम.…....

©R K Mishra " सूर्य "
  #समीक्षा  Babita Kumari Mili Saha shashi kala mahto Utkrisht Kalakaari Kanchan Pathak