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एक गृहणी के श्रम की प्रशंसा भी करो, तो वह एक संजीव

एक गृहणी के श्रम की प्रशंसा भी करो,
तो वह एक संजीवनी के समान होती है।
एक गृहणी गृह में अपने निष्कपट श्रम से,
प्रसन्नता और वैभव के वृक्ष के बीज बोती है।

©Amit Singhal "Aseemit"
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