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" अब याद नहीं क्या याद रखा जाये ,
तेरे बातों का अब कौन सा हिसाब रखा जाये ,
जिक्र तेरा तेरा एहसास उमरता है ,
इस बेज़ारी में तेरा कौन - कौन सा ख्याल रखा जाये ,
दे कोई सदा की इस एहसास ताउम्र रहे ,
तेरे मुहब्बत की कहीं खलीश ना परे , #आरज़ू#जुस्तजू#ज़िक्र