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दिसंबर, चाय और ठंड सच कहूं तो ,चाय के साथ मेरा कभ

दिसंबर, चाय और ठंड सच कहूं तो ,चाय के साथ 
मेरा कभी गहरा रिश्ता न बन पाया
जब तक  "मैं" अपनों के साथ था
तब तक मुझे कोई दूसरा न भाया ।

सच कहूं तो, अभी अपनों से दूर हूं
या दिसंबर की ठंड से मजबूर हूं
अब तो चाय अपना रंग दिखाने लगा है
मुझे हर- सुबह अपने पास बुलाने लगा है । सच कहूं तो ,चाय के साथ 
मेरा कभी गहरा रिश्ता न बन पाया
जब तक  "मैं" अपनों के साथ था
तब तक मुझे कोई दूसरा न भाया ।

सच कहूं तो, अभी अपनों से दूर हूं
या दिसंबर की ठंड से मजबूर हूं
अब तो चाय अपना रंग दिखाने लगा है
दिसंबर, चाय और ठंड सच कहूं तो ,चाय के साथ 
मेरा कभी गहरा रिश्ता न बन पाया
जब तक  "मैं" अपनों के साथ था
तब तक मुझे कोई दूसरा न भाया ।

सच कहूं तो, अभी अपनों से दूर हूं
या दिसंबर की ठंड से मजबूर हूं
अब तो चाय अपना रंग दिखाने लगा है
मुझे हर- सुबह अपने पास बुलाने लगा है । सच कहूं तो ,चाय के साथ 
मेरा कभी गहरा रिश्ता न बन पाया
जब तक  "मैं" अपनों के साथ था
तब तक मुझे कोई दूसरा न भाया ।

सच कहूं तो, अभी अपनों से दूर हूं
या दिसंबर की ठंड से मजबूर हूं
अब तो चाय अपना रंग दिखाने लगा है