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रहा हूं कर तुम्हारी यादों को दफन... जब तुम्हें बा

रहा हूं कर तुम्हारी यादों को दफन...

जब तुम्हें बात ही नहीं करनी हमसे,
तो क्या करेंगे तुम्हारा नंबर रखकर।

                     जाओ रखो अपनी फुरसतें,
                     संभाल कर किसी और के लिए।

मिटा दिया तुम्हारा नंबर फोन के साथ साथ,
लिखे अपने दिल के कागज़ से।

                       करता हूं अदा शुक्रिया तुम्हारा,
                       गुजारे हुए मेरे साथ एक हसीन दौर के लिए।
 
नहीं आऊंगा वापस अब सताने तुम्हें,
रहा हूं कर तुम्हारी यादों को दफन, 
तुम्हें भुलाने के वादों की मिट्टी से ढक कर।

                        जब तुम्हें बात ही नहीं करनी हमसे,
                        तो क्या करेंगे तुम्हारा नंबर रखकर।

जो गुजरा वक्त तुम्हारे साथ वो अच्छा था,
तुम्हारा पता नहीं,पर इश्क मेरा सच्चा था।

                          जो कर रहे हो तुम हरकतें साथ मेरे,
                           वो किसी और के साथ न दोहराना।

ये मर्ज़-ए-इश्क किसी कैंसर से कम नहीं,
तुम तो जी लोगे सहारे किसी के,उसे पड़ेगा मरजाना।

                           देते हो रोग अगर किसी को,
                           तो दिया करो दवा भी उसे आगे बढ़कर।

जब तुम्हें बात ही नहीं करनी हमसे,
तो क्या करेंगे तुम्हारा नंबर रखकर।

©Ravindra Singh
  रहा हूं कर तुम्हारी यादों को दफन...

जब तुम्हें बात ही नहीं करनी हमसे,
तो क्या करेंगे तुम्हारा नंबर रखकर।

                     जाओ रखो अपनी फुरसतें,
                     संभाल कर किसी और के लिए।

रहा हूं कर तुम्हारी यादों को दफन... जब तुम्हें बात ही नहीं करनी हमसे, तो क्या करेंगे तुम्हारा नंबर रखकर। जाओ रखो अपनी फुरसतें, संभाल कर किसी और के लिए। #Poetry

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