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जानू तो कैसे मुझे हक़ नहीं है वो इतना दूर मुझसे पूछ

जानू तो कैसे मुझे हक़ नहीं है
वो इतना दूर मुझसे
पूछू तो कैसे मुझे हक़ नहीं है
कुछ ही महीनो पहले
 अनजान से वो जान बनी
रोकू भी कैसे मुझे हक़ नहीं है
फुरसत नहीं है
इज्जत नहीं है
कहने को मुझे परवाह नहीं है
बात एक लम्हे में ख़त्म हुई तो
कैसे में मानु ये की
बाकी का जीवन नरक नहीं है

©Shubham joshi #दुरी

#Art
जानू तो कैसे मुझे हक़ नहीं है
वो इतना दूर मुझसे
पूछू तो कैसे मुझे हक़ नहीं है
कुछ ही महीनो पहले
 अनजान से वो जान बनी
रोकू भी कैसे मुझे हक़ नहीं है
फुरसत नहीं है
इज्जत नहीं है
कहने को मुझे परवाह नहीं है
बात एक लम्हे में ख़त्म हुई तो
कैसे में मानु ये की
बाकी का जीवन नरक नहीं है

©Shubham joshi #दुरी

#Art