इश्क़ वो दरिया है, जो बहता ही रहता है, जिसे किनारों की फ़िक्र हो, वो डूब कहाँ पाता है। अगर मोहब्बत सच्ची हो, तो सब्र भी निभता है, जिसे वक़्त परखना पड़े, वो प्यार कहाँ होता है! ये सिर्फ़ लफ़्ज़ों का खेल नहीं, जज़्बात की दुनिया है, हर कोई इश्क़ का दावेदार नहीं होता है। जो हर मोड़ पे शक करे, उसे यक़ीं कहाँ मिलता, जिसे चाहत निभानी हो, वो शिक़ायत कहाँ करता! ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर