न ड्रेस उसकी शॉर्ट थी , न बैकलेस उसका टॉप था , फिर भी न जाने क्यों उसका ही कसूर था / कसूर था कि वो थामे हाथ , मासूमियत से उनपर कर विश्वास , भूल दुनिया की हैवानियत सारी चल दी अपने ही मज़हब के लोगों के साथ / क़ुरान की सीख की जरुरत बताते हो , उस सात साल की बच्ची को मज़हब सिखाते हो , सीख देते देते उस मासूम को क़ुरान की इंसान को इंसानियत सिखाना ही भूल जाते हो / जो उस मासूम की रक्षा न कर पाया था , क्योंकि हमने भी कहीं न कहीं खुदमे भी एक हैवान छिपाया था , वो हैवान शर्मसार कर उस दिन इंसानियत को आज उस "वी वांट जस्टिस" की भीड़ में ही कहीं खड़ा पाया था / चलो आज तुम "कैंडल मार्च" निकालोगे , कल अपनों को बचाने के लिए नई जगह भागोगे , फिर भी एक नई घटना के लिए तैयार रहना क्योंकि एक स्वच्छ मानसिकता कहाँ से ला पाओगे / देखो आज एक नहीं हर देश है रोता , चैन से शायद ही कोई है आज सोता , हाँ आज हर एक आँख नम है क्योंकि इंसानियत,इज़्ज़त और दर्द का कोई मज़हब नहीं होता / - Akanksha Bhatnagar #YQbaba #YQdidi As we all know about recent incident which happened to Pakistan's 7 years old "Zainab Ansari" She was going to learn QURAN and somewhere between her house and class,she got kidnapped. she was seen going with strangers. Here is my poem related to that. #iwrite4change