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जनहित की रामायण - 84 नफे नुक़सान के संस्थान बेच द

जनहित की रामायण - 84

नफे नुक़सान के संस्थान बेच दें,
खरीदने वाले जो कर्ज़ भी हम दें ।
ना चूके कर्ज़ तो माफ़ भी कर दें,
जनता की बैंक जमा साफ़ कर दें ।।

आवाज़ उठाने वाले की आवाज़ बंद,
नजर रखने वालों से नज़रे चार कर ।
साम दाम दंड भेद सबका सही इस्तेमाल ,
धर्म ध्यान में जन जनार्दन उलझा कर ।।

भावनाएं भड़काने का हुनर,
लोगों को लड़ाने का हुनर ।
डराने धमकाने का हुनर,
सब कुछ हड़प जाने का हुनर ।।

कम दाम पर बिक्री, करों में भी छूट,
कर्मियों को घर बिठाने की भी छूट ।
ताली थाली बजवाकर जनता से,
सारे आम जारी चहूँ ओर ही लूट ।।
हे राम.. #aaveshvaani #politics #politicsinindia #JanhitKiRamayan #janmannkibaat
जनहित की रामायण - 84

नफे नुक़सान के संस्थान बेच दें,
खरीदने वाले जो कर्ज़ भी हम दें ।
ना चूके कर्ज़ तो माफ़ भी कर दें,
जनता की बैंक जमा साफ़ कर दें ।।

आवाज़ उठाने वाले की आवाज़ बंद,
नजर रखने वालों से नज़रे चार कर ।
साम दाम दंड भेद सबका सही इस्तेमाल ,
धर्म ध्यान में जन जनार्दन उलझा कर ।।

भावनाएं भड़काने का हुनर,
लोगों को लड़ाने का हुनर ।
डराने धमकाने का हुनर,
सब कुछ हड़प जाने का हुनर ।।

कम दाम पर बिक्री, करों में भी छूट,
कर्मियों को घर बिठाने की भी छूट ।
ताली थाली बजवाकर जनता से,
सारे आम जारी चहूँ ओर ही लूट ।।
हे राम.. #aaveshvaani #politics #politicsinindia #JanhitKiRamayan #janmannkibaat