ये अनथक प्रतीक्षा कठिन हो गयी है। हृदय की समीक्षा कठिन हो गयी है। मुहब्बत है या ये सितम जिन्दगी का, प्रिये ये परीक्षा कठिन हो गयी है। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ विनोद साँवरिया कठिन हो गयी है ....