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विनोद "साँवरिया"

अध्यापक

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विनोद "साँवरिया"

फसल हुई चौपट पशुओं से,मगर निशाना और कहीं है।
मँहगाई है आसमान पर, मगर ठिकाना और कहीं है।
मूल समस्याओं से भटका है, आज विपक्षी शोर यहाँ पर,
तुस्टीकरण की राजनीति है किन्तु बहाना और कहीं है।

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विनोद "साँवरिया"

फसल हुई चौपट पशुओं से,
मगर निशाना और कहीं है।
मँहगाई है आसमान पर, 
मगर ठिकाना और कहीं है।
मूल समस्याओं से भटका है, 
आज विपक्षी शोर यहाँ पर,
तुस्टीकरण की राजनीति है,
 किन्तु बहाना और कहीं है।
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- विनोद साँवरिया

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विनोद "साँवरिया"

शर्मो हया को प्रियवर, इजहार मत समझना।
मिल जाय जो नजर तो, इकरार मत समझना,
कुछ लोग जिन्दगी में, बस बाँटते हैं खुशियाँ,
दो बोल मीठे बोलें, तो प्यार मत समझना।
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विनोद "साँवरिया "

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विनोद "साँवरिया"

हुनर तूफां से लड़कर मंजिलों को छीन लेने का,
लकीरों में नही यारो, जिगर के हौसले में है।
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विनोद "साँवरिया"

सियासत के यहाँ हर पल अनौखे ढंग बदलेंगे।
मुहब्बत के अँधेरों में, बहुत से संग बदलेंगे।
नहीं बदलेंगे केवल दिन गरीबों के किसानों के,
अमीरों के मगर इस वर्ष भी सौ रंग बदलेंगे।
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विनोद साँवरिया

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विनोद "साँवरिया"

खुशियों का उत्कर्ष सम्भाले रखना तुम।
जीवन का संघर्ष सम्भाले रखना तुम।
गये साल की यादें सुरक्षित हैं मुझ पर,
लेकिन प्रिय नव वर्ष सम्भाले रखना तुम।
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विनोद साँवरिया नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

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विनोद "साँवरिया"

अब तलक कोई राक्षस पराजित नहीं

अब तलक कोई राक्षस पराजित नहीं

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विनोद "साँवरिया"

जिनकी जीत की खातिर नित लड़ा जमाने से,
किन्तु रात दिन मुझको वह हराने बैठे हैं।

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विनोद "साँवरिया"

नयन के रास्ते दिल में उतर कर आ गये तुम तो,
मगर खामोश अधरों को बताना ही नहीं आया।
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विनोद साँवरिया
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विनोद "साँवरिया"

कौन दिलाये दण्ड स्वयं अब,
अपने ही कारिन्दों को।
खुद की खातिर कौन चुनेगा,
 उन फाँसी के फन्दों को।
हमने चुनकर खुद भेजा कुछ,
 व्यभिचारी प्रतिनिधियों को।
सोचो कैसे दण्ड मिलेगा,
 बहसी और दरिन्दों को।
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विनोद साँवरिया लोकतंत्र के खलनायक

लोकतंत्र के खलनायक

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