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डरो अब डरना ही होगा ये दौर डरावना है क्या पता कोई

डरो अब डरना ही होगा
ये दौर डरावना है
क्या पता कोई तुमसे 
तीन किलो आलू की रसीद मांग ले
तुम्हारी कमीज घर की बाल्टी
जग मग कुछ भी
नियम से हर चीज की खरीददारी करनी है
तो तुम्हारे पास कुछ तो प्रमाण होगा न
जब तक तुम चुप हो
छूप के कही कोने में हो
तब तक तेरा कुछ नही होगा
जहा कुछ बोले मुंह खोले तो 
संभव है रेड हो जाये
इतना बड़ा कुछ हो जाये
तो नाम ही होगा
लेकिन सिर्फ पुलिसिया धमक पर आयी बात
तो बेवजह मुश्किल हो जाएगी
इसीलिए बच के रहियो
बात हल्की लेकिन काम की है
समय खराब चल रहा है
यहाँ बड़का ही नही छोटका पर
गिर सकती है बड़का गाज

©ranjit Kumar rathour
  आलू की रसीद
#हल्की बात

आलू की रसीद #हल्की बात #कविता

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