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गमों के धूप में, मनहूस जख्मों को सुखाने चले थे कम

गमों के धूप में, मनहूस जख्मों को सुखाने चले थे

कमबख्त! अश्कों की बरसात ने उसे फिर से भींगों दिया

©Sujeet Sharma
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