वोह पल जब याद आते थे... एक अजीब सा मजा था एक हरपल का अहसास था एक हँसी का माहौल था... यह उनदिनों का जब कॉलेज के दिन जिया करते थे हर दिन नया सा था... दोस्तों का शोर शराबा लास्ट लेक्चर की घंटी सुनाई देती थी तब खुशी की अंगड़ाई लेते थे... हँसी के कई बहाने थे मस्ती मजाक का भी नया फंडा था दोस्तों के ऊटपटाँग हरकतों का अलग ही धंदा था... कैम्प की वो राते सुबह की सौगाते डिसिप्लिन मैं रहना अब काम आ गया क्योंकि अब बहाने नही मिलते दांडी मारने के लेक्चर छोड़ कर भाग जाने के त्योहारों मैं सजधज के लाइन मारने के दोस्त बीमार हो तोह मिलने जाने के एकसाथ कही दूर घूमने जाने के वक्त पर फोन उठाकर देर से आने के किसी की खुशी मैं शामिल होने के किसी की किताबे लेकर भाग जानेके सब अब पीछे छूट गया फिर ना दिन आएँगे दुबारा.. I miss my college day's..