सलाम करता हूं ऐसे प्राणीयो की सोच को चमचौ की है मान परेशान करें और को खुद की सोच न जाने कब चलाएंगे शायद वो भी सलाम करें चमचौ की सोच को... (कवि संदीप बाढ़ड़ा) #शायरी#कविता