*तेरी मेरी बात* सुबह की पहली किरण यह तेरा निर्मल मन यादों के झरोखों में सांसो का यह अर्पण जैसे खिल जाता है भंवरा पीकर मकरंद जैसे उड़ जाती है तितली पाके हवा का नया प्रबंध दिल मेरा भी खिल जाता है मन पाकर साथ तुम्हारा जैसे हो तुम मीठा गुलकंद साथ जिएंगे साथ मरेंगे यह कोरी सी अभिलाषा कैसे तुमसे दूर मैं जाऊं सीख प्यार की एक नई परिभाषा साथ तुम मेरे रहना साथी जैसे डोर पतंग कट ना जाना इस जीवन से व्यर्थ है तुम बिन जीवन का हर रंग बहुत से सपने बहुत सी आशा बना बना कर बैठे हैं तुम पागल सी मैं दीवाना फिर दुर हम बैठे हैं एहसास करो उस लम्हे का जिस लम्हे ने तुम को अपना माना याद करोगे दिल खुश होगा वरना तड़प तड़प रह जाना