किशोर अवस्था के दोर में खुब वोट चलाते थे! वारिश़ के पानी में वी तो घंटो नहाते थे! मां की ड़ाट,पिता की गालीयों से कही दूर चले जाते थे! शाम होती,भूॅंख़ लगती मुड़ी गिराकर घर परत आते थे! पाठशाला ना जाने के कितने ही बहानें बनाते थे! कबी तो चोरी चुपके मशट रानियों का खाना सिमेट दिया करते थे! ©Singh Baljeet malwal Singh Baljeet Malwal✍ SANA@