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बहुत बड़ी-बड़ी बातें लिख जाते हो, स्त्री एक आसान सा

बहुत बड़ी-बड़ी बातें लिख जाते हो,
स्त्री एक आसान सा विषय मात्र है?
फिर भी अपनी मर्दानगी अपना रोष,
क्यों वहीं उतारते हो?
कोख से जन्म लेते हो उसी स्त्री के,
रक्षा सूत्र बांधती है वही स्त्री तुम्हें,
करवा चौथ ,तीज त्योहार,
करती है सिर्फ तुम्हारे लिए,
24 घण्टे निर्जला रह कर,
वो करती है लंबी उम्र की दुआ,
24 मिनट भी नहीं लगाते तुम,
ये बोलने में कि
किया क्या है तुमने हमारे लिये,
आज भी उसके हृदय को,
तार-तार करने से तुम पुरुष,
बाज नहीं आते न,
खैर हटाओ तुम्हें तो,
अफसोस भी नहीं होता कि,
कह क्या रहे और कह क्यों रहे,
एक वेश्या जो बैठी है कोठे पर,
तुम्हें अधिकार किसने दिया,
कि उसे भी गाली दो,
क्योंकि तुम पुरुष हो न,
कुछ भी कह जाओ,
ये समाज तुम्हें धिक्कारेगा कहाँ,
समाज की छोड़ो तुम्हारा मन भी,
तुम्हें कहाँ धिक्कारता है,
तो सुनो अगर वो मुड़ गयी है,
रो कर,मुस्कुरा कर,
तो व्यर्थ नहीं जायेगा,
उसके कांपते स्वर से बचना,
उसकी वेदना से बचना,
उसके चीत्कार से बचना,
ऐ पुरुष!! तेरा दम्भ भी टूटेगा,
उसके बलिदान से बचना,

©®-मीनाक्षी राजे #NojotoQuote #nojoto
#hindi
#nojotopoetry
#hindi
बहुत बड़ी-बड़ी बातें लिख जाते हो,
स्त्री एक आसान सा विषय मात्र है?
फिर भी अपनी मर्दानगी अपना रोष,
क्यों वहीं उतारते हो?
कोख से जन्म लेते हो उसी स्त्री के,
रक्षा सूत्र बांधती है वही स्त्री तुम्हें,
करवा चौथ ,तीज त्योहार,
करती है सिर्फ तुम्हारे लिए,
24 घण्टे निर्जला रह कर,
वो करती है लंबी उम्र की दुआ,
24 मिनट भी नहीं लगाते तुम,
ये बोलने में कि
किया क्या है तुमने हमारे लिये,
आज भी उसके हृदय को,
तार-तार करने से तुम पुरुष,
बाज नहीं आते न,
खैर हटाओ तुम्हें तो,
अफसोस भी नहीं होता कि,
कह क्या रहे और कह क्यों रहे,
एक वेश्या जो बैठी है कोठे पर,
तुम्हें अधिकार किसने दिया,
कि उसे भी गाली दो,
क्योंकि तुम पुरुष हो न,
कुछ भी कह जाओ,
ये समाज तुम्हें धिक्कारेगा कहाँ,
समाज की छोड़ो तुम्हारा मन भी,
तुम्हें कहाँ धिक्कारता है,
तो सुनो अगर वो मुड़ गयी है,
रो कर,मुस्कुरा कर,
तो व्यर्थ नहीं जायेगा,
उसके कांपते स्वर से बचना,
उसकी वेदना से बचना,
उसके चीत्कार से बचना,
ऐ पुरुष!! तेरा दम्भ भी टूटेगा,
उसके बलिदान से बचना,

©®-मीनाक्षी राजे #NojotoQuote #nojoto
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