कि कहीं कुछ छूटा हुआ है, रौशनी कमरे की कम है या खिड़की का कांच दड़का हुआ है! किसी को नहीं बताना कि दर्द कितना हुआ है, क्यों आकुल-व्याकुल मन है, अलमारी में लगा ताला बिगड़ा हुआ है! किसी से क्यों कहना क्या उर अंतर में भरा है, किसकी आहट को ताकते... सिसकियों की टीस का मरहम कहां है! किसी को महसूस ना होने देना कि कहीं कुछ छूटा हुआ है, रौशनी कमरे की कम है या खिड़की का कांच दड़का हुआ है! किसी को नहीं बताना कि दर्द कितना हुआ है, क्यों आकुल-व्याकुल मन है,