तब ही मर जाते हैं क्या वो लोग, उन्हें जब उम्र भर जलाया जाता है, और जो उम्र भर झूलते रहे झूले, ना जाने कब ज़मी पर उन्हें लिटाया जाता है, लगा कर गंगा में डुबकिया बने रहे जो खुशनसीब, दे कर चन्द पानी के छींटे आखरी बार नहलाया जाता है, किस दौलत पर करता है तू नाज़ ऐ दोस्त, दौलत बांटते ही जग को तुझ पर हंसाया जाता है। ©Harvinder Ahuja #अब मरना कैसा